परंपरा इस देश की बदल सके न कोय
बीबी लगाती दाव में,सदियों से यह होय
सदियों से यह होय,उन्हें हम धर्मराज हैं कहते
बेच रहे जो देश उन्हें फिर गाली क्यूँ है बकते?
अगर बदलना देश तो यह इतिहास सुधारों
दुर्योधन को मरो पर युधि को भी नहीं सराहो
लोकतन्त्र में राजतन्त्र ही छुपा हुआ है,
कुछ करना है तो पहले मतदान सुधारों
बीबी लगाती दाव में,सदियों से यह होय
सदियों से यह होय,उन्हें हम धर्मराज हैं कहते
बेच रहे जो देश उन्हें फिर गाली क्यूँ है बकते?
अगर बदलना देश तो यह इतिहास सुधारों
दुर्योधन को मरो पर युधि को भी नहीं सराहो
लोकतन्त्र में राजतन्त्र ही छुपा हुआ है,
कुछ करना है तो पहले मतदान सुधारों
vijay